देश मे पुरातन काल से साधु
महात्मा और स्वामी, लोगों के जीवन को सुखी बनाने और उनकी भलाई के काम करते रहने के कारण
आदर के पात्र बने हुए हैं. सच्चे साधू महात्मा को ना तो धन का लोभ होता है और नाही
वो प्रचार के पीछे भागता है. उसके व्यक्तित्व और उसके सद्कर्मों द्वारा फैली खुसबू
से ही लोग अपने आप उसकी और खींचे चले आते हैं. परंतु आज कुछ कथित बाबा धन के लालच
और ऐशो आराम के जीवन की लालसा के होते साधु और महात्मा के नाम को भी बदनाम करने
लगें हैं. आजकल फ़र्ज़ी स्वामीओं, बाबाओं और तांत्रिकों का बोलबाला है. शातिर बाबा लोग
टीवी में प्रायोजित कार्यक्रमों में देखे जा सकते हैं. कुछ बाबा तो बुद्धिमान समझे
जाने वाले नेताओं को भी बेवकूफ बनाते रहते हैं. एक बाबा ने तो जमीन में गढ़े सोने
का हसीन सपना दिखा भारत सरकार को भी बेवकूफ बना बड़े बड़े नेताओं को भी उपहास का पात्र बना डाला था.
बाबाओं के चेले अमीर लोगों में इनकी महिमा
का प्रचार कर मुर्गे फंसाते रहते हैं. इनके प्रोग्राम में आये बहुत से लोग तो इनके चेले
ही होते हैं जो अपने काल्पनिक दुखों, बीमारियों या व्यवसाय या घरेलु परेशानियों का बाबा की
कृपा से ठीक या हल हो जाने का अन्य भक्तों के सामने बखान करते हैं. इन में से कुछ कथित समाज
सेवी अपनी सेवा और शिकार को ढूंढने और अपने जाल में फंसाने के लिए सुन्दर सेविकाओं
का भी सहारा लेते हैं. ऐसे बाबा लोगों से आमतौर पर समाज को कोई ख़तरा नहीं होता क्योँकि
यह लोग अमीरों की जेबें ही ढीली करतें हैं. परन्तु कुछ बाबा ऐयाशी भी करने लगते
हैं और उन्हें देर सवेर बड़े घर (जेल) की रोटियां तोड़नी पड़ती हैं.
सब बाबा इतने भाग्शाली नहीं होते
की टीवी पर प्रचार द्वारा लोगों को लूट सकें. ऐसे बाबा घर या एक कमरे से ही अपना कुटीर उद्योग
चला अनपढ़ गरीब भक्तों की शादी, औलाद, तलाक, मुक़दमे, किसी गंभीर बीमारी और किसी को वश में करने की समस्यायों
का सस्ते में ही समाधान कर देते हैं. ऐसे बाबा अधिक से अधिक लोगों को अपनी और
आकर्षित करने के लिए कभी मशहूर रहे बंगाल के जादू का दुरूपयोग कर अपने नाम के साथ
बंगाली टाइटल अवश्य लगाते हैं. इनके इश्तेहार बस स्टाप और सड़क किनारे बने शौचालयों में
देखे जा सकते हैं. अगर बंगाली बाबा कुछ पैसे वाला हुआ तो उसके विज्ञापन केबल टीवी
और अखबारों में भी आ जाते हैं. यह लोग कथित काले जादू का सहारा ले गरीब पीड़ित
लोगों का खून चूसते हैं. इन ढोंगी तांत्रिकों का इलाज़ निम्बू से आरम्भ हो मुर्गे
या बकरे की बलि और कभी कभी तो महिलाओं की इज़्ज़त लूटने और मासूम बच्चों की बलि तक
चला जाता है.
ख़ज़ाने के लालच में कितने ही
मूढमत लोग राक्षस बन मासूम और निरीह बच्चों तक की बलि दे देते हैं. बेवकूफ लोगों को खज़ाना तो मिलता
नहीं परन्तु जेल की हवा अवश्य खाने को मिल जाती है. हाल ही मे ख़बरों के अनुसार एक
व्यक्ति ने मानसिक रूप से बीमार अपनी पत्नी को ठीक करने के लिए किसी तांत्रिक की
सलाह से चार नाबालिग लड़कियों का बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी और अभी उसको ऐसी
तीन और हत्याएं करने की सलाह मिली हुई थी. ऐसे घृणित कृत्यों की ख़बरें समय समय पर
सुनने को मिलती रहती हैं. यदि आप काला जादू या तांत्रिक के शब्द से इंटरनेट पर खोज करें तो
कितने ही ढोंगी बाबाओं के मोबाइल फ़ोन नंबर और उनकी कथित महानता के बारे में
जानकारी मिल जायेगी. परन्तु पता नहीं आज तक ऐसे बदनाम बाबाओं और तांत्रिकों के खिलाफ कोई
भी कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. किसी घृणित घटना होने पर एक तांत्रिक को पकड़ लेने से से
कुछ लाभ नहीं होगा. समाज में रह रहे ऐसे अन्य राक्षसी प्रवृति वाले तांत्रिकों को लोगों को बरगलाने से रोकने के
लिए भी क़ानून बनना चाहिए.
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