पिछले 70 सालों में कश्मीर में गंगा जमुनी तहजीब की ऐसी बयार चली की 5000 मंदिरो को खण्डर बना दिया गया,पूरे कश्मीर में जब हिन्दू आबादी ही 10 लाख से नीचे पहुँच गई तो फिर मंदिर की ही रक्षा कौन करता,अपनी जान ओर महिलाओं का सम्मान बचाने की खातिर हिन्दू धर्म को बचाने की खातिर कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ा,किसने किया ये सब क्या पाकिस्तान ने जी नही ये सब उसी विचारधारा ने किया जिसका जिक्र ट्रम्प ने हॉउदी मोदी में किया इस्लामी आतंकवाद,जो कुफ,, शिर्क ओर अल्लाह के आदेश के अलावा किसी चीज में यकीन नही रखते,धारा 370 इस मजहबी जुनून को संरक्षण देती थी पूरे देश मे अल्पसंख्यक हितों का रोना रोने वाले कश्मीरी पंडितों के निष्काशन के बारे में जानते ही नही थे,मजहबी जुनून ओर अपनी सोच दुसरो पर थोपने की प्रवत्ति दुनिया के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है,71 के बांग्लादेश युद्ध मे मारे गए लाखो लोगो के हत्यारों पर वहां की अदालते मुकदमे चला रही हैं उनके पापो का हिसाब हो रहा है शेख हसीना के आने के बाद सैंकड़ो को फांसी हो चुकी है,कश्मीर में भी यही होना चाहिए,बिट्टा कराटे,यासीन मलिक,मकबूल भट्ट,,लोन, परवेज आलम बहुत लंबी लिस्ट है इन हत्यारो को बख्शना नही चाहिए,एक एक कश्मीरी पंडित का बदला लिया जाना चाहिए घाटी में घंटे बजेंगे मंदिरो मे शंख बजेंगे आरतियां सुनाई पड़ेगी तो शांति अपने आप आएगी,
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