Thursday, December 12, 2013

दंगो का कहर



दंगो का कहर भले ही सारे देश पर हो, पर खामियाजा भुगतना पड़ता है निम्न और मध्यम वर्ग के हिन्दू-मुस्लिम समाज को.......घर जलते हैं उन लोगो के जो मंदिर और मस्जिद नही, सिर्फ अपने ही देश में जगह चाहते हैं और बर्बादी और तबाही में आबादी का जश्न मनाते हैं तो, राजनीति की आड़ में मानवीयता से खिलवाड़ करने वाले कुछ सामाजिक कार्यकर्ता! और सबसे बड़ा अफ़सोस तो यह है कि समाज और धर्म के नाम पर कुछ लोग जैसे चाहे वैसे देश को मोड़ रहे हैं और युवा वर्ग अपने घरों मै छिपकर बैठा है! क्योंकि २० सालों में जो परिवर्तन आया वह आज की युवा पीढ़ी में और जब युवा वर्ग ऐसे मामलों पर भी चुप्पी साधे हुए है, तो देश में ऐसी अमानवीय घटनाएं होना स्वाभाविक है! सवाल यह नहीं है कि यह देश क्यों ऐसे दुराचारियों के हाथों में है? सवाल तो यह है कि यह देश हम नौजवानों के हाथों में क्यों नहीं है? क्या हम नौजवान देश का सिर्फ भविष्य हैं,वर्तमान नहीं...जो खुद के बुढ़ापे के साथ देश के बुढ़ापे का इन्तजार कर रहे हैं? और ये भ्र्स्ताचारी देश की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं! क्या कहूँ मै देश के इन शर्मनाक हालातों पर?????????
इस देश के बारे में ना तो ये दिल सुनना चाहता है और ना ही देश की जनता! १९९२ मै जो हुआ वो असहनीय था, पर आज तो जागरूक होने का अवसर हमारे पास है! कब तक कुछ नारकीय दुष्ट...धर्म,समाज और राजनीति के नाम पर देश मै हिंसा,घ्रणा और असंवेदना फैलाते रहेंगे?....और कब तक हम युवा ऐसी ऐतिहासिक अनहोनी के इन्तजार मै अपने घरों मै छिपकर बैठे रहेंगे??? मेरी आवाज,मेरा आह्वान समर्पित है, देश के उन सभी लोगों को जिनके दिलों मै देशप्रेम की सही मानवता कि भावना तो बरकरार है! जब इन हैवानो की बाजुओं में इतनी ताकत कि वे अपनी तलवार से समाज,कानून और देश की परवाह किये बिना संहार और विनाश का खेल रचते हैं, तो क्या हमारे जिगर में इतनी भी हिम्मत नहीं कि हम आह्वान से जागरूकता और परिवर्तन की और चलें? हमारे हौसले इतने कमजोर नहीं हैं कि तलवारों की तेज धारों से चकनाचूर हो जायें!
जागो !!! युवाओं जागो ....सांप्रदायिक हिंसा का हिस्सा मत बनो!!! मेरे देश को तुम्हारे नेक इरादों,जोश और जूनून की जरुरत है!!

जागरूक युवा जागरूक समाज और जागरूक हिंदुस्तान !!
मेरा देश है मेरा गुरुर, कोई धर्म नहीं मेरी पहचान !!

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