हमारे हाल पर रोया दिसम्बर, वोह देखो टूट कर बरसा दिसम्बर,
गुजर जाता है सारा साल, यूँ तो नहीं कटा मगर तनहा दिसम्बर,
भला बारिश से क्या सराब हो गा ? तुम्हारे वसल का प्यासा दिसम्बर,
वोह कब बिछड़ा? नहीं अब याद लेकिन बस इतना इल्लम है के था दिसम्बर,
यूँ पलकें भीगती रहती हैं ऐसे मेरी आँखों में जैसे आ ठहरा दिसम्बर,
जमा पूंजी येही है उम्र भर की, मेरी तन्हाई और मेरा दिसम्बर,
सबब न पूछ मेरे आंसू का, है पहले हिज्र का पहला दिसम्बर,
मैं इन् यादों से बच के जाओं कैसे, के मिल्लोँ दूर है फेला दिसम्बर,
मेरी आँखों से गर देखो, तो जानो के हर बरसात में जलता दिसम्बर,
अभी तक कोहर मैं डूबा है आँगन. अभी तक याद है पिछला दिसम्बर....
अभी तक याद है पिछला दिसम्बर ..... अभी तक याद है पिछला दिसम्बर ....
गुजर जाता है सारा साल, यूँ तो नहीं कटा मगर तनहा दिसम्बर,
भला बारिश से क्या सराब हो गा ? तुम्हारे वसल का प्यासा दिसम्बर,
वोह कब बिछड़ा? नहीं अब याद लेकिन बस इतना इल्लम है के था दिसम्बर,
यूँ पलकें भीगती रहती हैं ऐसे मेरी आँखों में जैसे आ ठहरा दिसम्बर,
जमा पूंजी येही है उम्र भर की, मेरी तन्हाई और मेरा दिसम्बर,
सबब न पूछ मेरे आंसू का, है पहले हिज्र का पहला दिसम्बर,
मैं इन् यादों से बच के जाओं कैसे, के मिल्लोँ दूर है फेला दिसम्बर,
मेरी आँखों से गर देखो, तो जानो के हर बरसात में जलता दिसम्बर,
अभी तक कोहर मैं डूबा है आँगन. अभी तक याद है पिछला दिसम्बर....
अभी तक याद है पिछला दिसम्बर ..... अभी तक याद है पिछला दिसम्बर ....
No comments:
Post a Comment