खुशियाँ भी होंगी, बहारें भे होंगी, मगर हम तो गुजरे दिसम्बर की सोचूँ में गूम हैं,
के जब तू मेरे पास थी हाथ तेरा मेरे हाथ में था, और खुशियाँ चारों ओर हमारे साथ थीं,
मगर अब अकेले तुम्हें सोचते हैं यही खौफ दमन से लिप्त हुआ है के ऐसा न हो इस बरस भी दिसम्बर तुम्हारे बिना ही कहीं बीत जाय, दिसम्बर तो हर साल आता रहेगा,
मगर तुम न होगे तो कुछ भी न होगा,
सुना है नया साल फिर आ रहा है.....
सुना है नया साल फिर आ रहा है.....
के जब तू मेरे पास थी हाथ तेरा मेरे हाथ में था, और खुशियाँ चारों ओर हमारे साथ थीं,
मगर अब अकेले तुम्हें सोचते हैं यही खौफ दमन से लिप्त हुआ है के ऐसा न हो इस बरस भी दिसम्बर तुम्हारे बिना ही कहीं बीत जाय, दिसम्बर तो हर साल आता रहेगा,
मगर तुम न होगे तो कुछ भी न होगा,
सुना है नया साल फिर आ रहा है.....
सुना है नया साल फिर आ रहा है.....
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